MP News: मध्य प्रदेश के 1500 नवनियुक्त प्राथमिक शिक्षकों को मिली राहत, बस यही एक तरीका बचा उनके पास, जल्दी देखिए

मध्य प्रदेश में नवनियुक्त प्राथमिक शिक्षक भर्ती को लेकर अभी भी विवाद चल रहा है लेकिन अब उन 15000 नवनियुक्त प्राथमिक शिक्षकों के लेकर अपडेट निकल कर आ रही है जिससे उन 15000 नवनियुक्त प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी बच सकती है, NCTE की अधिसूचना को निरस्त घोषित किए जाने के बाद जिनकी नियुक्ति हो गई है।

नवनियुक्त प्रथमिक शिक्षको को एक और मौका दिया जा रहा है लेकिन इसके लिए उन्हें एक और परीक्षा देनी होगी। यदि वह इस परीक्षा में असफल हो गए तो नौकरी चली जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा है कि यह परीक्षा का आयोजन 1 साल के अंदर हो जाना चाहिए। हालांकि इस मामले को लेकर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का निर्णय आना बाकी है।

मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका

खबरों की जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षकों की बीएड योग्यता के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में पहल करते हुए 28 जनवरी 2024 को एक आवेदन प्रस्तुत किया गया था जिसमें माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 11 अगस्त 2023 जारी आदेश को स्पष्ट करने का अनुरोध किया गया, कि दिनांक 11 अगस्त 2023 को जारी आदेश भविष्य के लिए लागू हो।

क्या है प्राथमिक शिक्षक भर्ती विवाद

मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई‌ थी जिसमें से लगभग 15000 शिक्षकों की नौकरी पर खतरे में है इन शिक्षकों के पास बीएड डिग्री है जबकि प्राथमिक शिक्षक के लिए डीएलएड अनिवार्य है दरअसल 11अगस्त 2023 को जारी हाई-कोर्ट के आदेश के अनुसार बीएड़ डिग्री वाले प्राथमिक शिक्षक के लिए पात्र नहीं है जिससे इन 15000 नवनियुक्त शिक्षकों की नौकरी खतरे में है।

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मध्य प्रदेश द्वारा दायर याचिका पर क्या है सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सूत्रों के मुताबिक, प्राथमिक शिक्षक भर्ती के संबंध में मध्यप्रदेश द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 8 अप्रैल 2024 को यह निर्देश जारी किए हैं कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 11.8.2023 को जारी आदेश भविष्य के लिए लागू होगा, इसके साथ ही यह निर्देश भी दिए गए है कि चयनित बीएड डिग्री प्राथमिक शिक्षकों को निश्चित समयावधि में ब्रिज कोर्स कराना अनिवार्य है।

हालाकि अब तक सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है और न ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। इस बारे में कोई किसी भी तरह का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक हमे इंतज़ार करना होगा।

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