मध्यप्रदेश में एतिहासिक फैसला: मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में सेवाएं दे रहे अतिथि शिक्षकों की सेवा लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा समाप्त कर दी गई है। बता दें प्रदेश के 70,000 अतिथि शिक्षकों को बिना विभागीय आदेश जारी किए मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा पद से हटा दिया गया है जो की पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है। वहीं प्रदेश के इन 70 हजार अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त होने के साथ-साथ उन्हें वेतन का लाभ भी विभाग की तरफ से उपलब्ध नहीं कराया गया।
प्रदेश के 70 हज़ार अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में लंबे समय से अपनी सेवाएं दे रहे 70 हजार अतिथि शिक्षकों के साथ इस बार बहुत ही बड़ा अत्याचार हुआ है। दरअसल मध्य प्रदेश के इन 70 हजार अतिथि शिक्षकों को लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से 30 अप्रैल 2024 को पद से हटा दिया गया है जिसकी उन्हें कोई आधिकारिक सूचना तक प्राप्त नहीं हुई।
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने की थी अतिथि शिक्षकों के अनुबंध की घोषणा
दरअसल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में उन्होंने घोषणा करते हुए कहा था कि प्रदेश में अतिथि शिक्षकों का अनुबंध अगले एक साल तक की अवधि के लिए रहेगा और नियमितीकरण की योग्यता परीक्षा होने तक इन अतिथि शिक्षकों के पद पर दूसरे अतिथि शिक्षकों को नियुक्त नहीं किया जाएगा।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा किए गए इस बड़े ऐलान के बावजूद मध्य प्रदेश लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक D.S कुशवाहा ने प्रदेश के 70,000 अतिथि शिक्षकों को पद से हटा दिया।
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विधिवत आदेश भी नहीं हुआ जारी
मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों को उनके निर्धारित पदों से हटाने और उनकी सेवा की समाप्ति के लिए लोक शिक्षण संचालनालय की तरफ से किसी प्रकार का कोई विधिवत आदेश जारी नहीं किया गया जबकि हर साल अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति के लिए लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक द्वारा आधिकारिक आदेश जारी किया जाता है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि 30 अप्रैल के बाद अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त हो जाएगी।
वहीं यह आदेश स्कूल प्राचार्य को भेजा जाता है और उन्हें बताया जाता है कि यदि 30 अप्रैल के बाद किसी अतिथि शिक्षक से काम करवाया तो उसका वेतन प्राचार्य को अपनी तरफ से देना हो या उनकी वेतन से काट लिया जाएगा। हालांकि बता दे लोक शिक्षण संचालनालय ने 4 अप्रैल 2024 को सभी कलेक्टरों के नाम पत्र लिखा था अतिथि शिक्षकों के सेवा समाप्ति के विषय में ताकि उनकी लोकसभा चुनाव में ड्यूटी ना लगाई जाए पर इसके बाद कोई आधिकारिक आदेश अतिथि शिक्षकों को प्राप्त नहीं हुआ।
अतिथि शिक्षकों को काम करने का वेतन तक नहीं मिला
मध्य प्रदेश के 70,000 अतिथि शिक्षकों को एक साथ दो बड़े झटके मिले हैं। सेवा समाप्ति के साथ वेतन के लाभ से भी उन्हें वंचित रहना पड़ा। इन अतिथि शिक्षकों से नियमित तौर पर काम करवाया गया साथ ही वह रोज स्कूल में उपस्थित रहे पर उन्हें अपनी इस मेहनत का हर्जाना भी प्राप्त नहीं हुआ यानी कि इन अतिथि शिक्षकों को सेवा समाप्ति के साथ-साथ वेतन भी प्राप्त नहीं हुई।
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