MP News: मध्य प्रदेश सरकार हर महीने राज्य की 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करती है। और जैसा कि सभी को पता है कि हर बार ऋण लेकर लाडली बहना योजना सहित तमाम योजनाओं की राशि अंतरित की जाती है। और यह प्रक्रिया पिछले कई वर्षों से जारी है लेकिन अब मध्य प्रदेश सरकार ने ऋण सीमा पार कर ली है जिससे भविष्य में ऋण नही मिल सकता है और इसी वजह से लाडली बहना योजना पर भी खतरा मंडरा रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार अब आगामी वित्तीय वर्ष में नया कर्जा नहीं ले पाएगी। नया कर्जा प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार को राज्य की शुद्ध उधार सीमा को निर्धारित करना होगा। इससे पहले, राज्य सरकार को केंद्र से कोई वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अनुमति चाहिए होगी। इस वर्ष, राज्य की शुद्ध उधार सीमा को बढ़ाने की कोई संभावना नहीं है और यह लगभग 45,000 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव
पिछले सप्ताह राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है ताकि शुद्ध उधार सीमा निर्धारित की जा सके। अधिकारियों को आशा है कि अगले कुछ दिनों में उन्हें जवाब मिलेगा, उसके बाद राज्य सरकार नए वित्तीय वर्ष में पहला कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू कर सकेगी।
क्या कहता है संविधान का अनुच्छेद 293
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 293 के अनुसार, यदि केंद्र सरकार किसी राज्य को ऋण प्रदान करती है और उस ऋण का कुछ हिस्सा अभी भी बकाया है, तो उस राज्य को भारत सरकार की सहमति के बिना कोई नया ऋण नहीं ले सकता। पिछले नवंबर में विधानसभा चुनाव के बाद बनी नई सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज मिला है और नवंबर से मार्च तक उसने 17,500 करोड़ रुपये का नया कर्ज लिया है।
केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित होगी राज्य की शुद्ध उधार सीमा
मध्यप्रदेश सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष में 42,500 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। इसके पीछे का कारण है राज्य की जीएसडीपी की स्थिति, जो अधिक नहीं थी। पिछले वर्ष राज्य की जीएसडीपी लगभग 15 लाख करोड़ रुपये थी, और चालू वित्तीय वर्ष के लिए भी लगभग यही अनुमान लगाया गया है। राज्यों को अपने जीएसडीपी के तीन प्रतिशत के भीतर ऋण लेने की अनुमति है, जो लगभग 45 हजार करोड़ रुपये होगी।
अधिकारियों का कहना है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष की शुरुआत में पहला ऋण लेने से पहले केंद्र सरकार की सहमति लेना एक नियमित प्रक्रिया है और यह लागू आदर्श आचार संहिता से कोई लेना-देना नहीं है। राज्य सरकार किस सीमा तक ऋण ले सकती यह राज्य की वित्तीय स्थिति के आधार पर निर्धारित की जाती है। यह ऋण राज्य में उत्पादक विकास कार्यक्रमों और परियोजनाओं के फाइनेंस के लिए उपयोग किया जाता है।
मध्यप्रदेश ने अपनी ऋण की सीमा को पार कर दी है, और अब केंद्र सरकार को निर्धारित करना होगा कि राज्य की शुद्ध उधार सीमा क्या होगी। यह आंकड़े सरकारों के बीच नीति निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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