मध्य प्रदेश में कल 24 अप्रैल बुधवार को प्राथमिक शिक्षा वर्ग 3 की भर्ती के दौरान Bed-DElEd शिक्षक को लेकर सुनवाई पूरी की। बता दें इस सुनवाई में हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के मुताबिक मध्य प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के समक्ष Bed-DElEd योग्यता धारी नियुक्त हो चुके प्राथमिक शिक्षकों के को ऑपरेटिव चार्ट को पेश नहीं किया।
हाई कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित
मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक वर्ग Bed-DElEd शिक्षक भर्ती के मामले से जुड़ी याचिकाओं पर बीते दिन बुधवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू और अमरनाथ केशवानी की न्याय पीठ में सुनवाई की गई। पूरे 2 घंटे (दोपहर 2:30 बजे से शाम 4:30 बजे) तक चली इस सुनवाई में हाई कोर्ट द्वारा अंतिम सुनवाई का रूप देते हुए सभी प्रकरणों के फैसलों को सुरक्षित किया गया।
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सरकार ने हाई कोर्ट से मांगी मोहलत
बीते दिन 24 अप्रैल को प्राथमिक शिक्षक के मामले में हुई सुनवाई के लिए हाई कोर्ट ने पहले ही प्रदेश सरकार को Bed-DElEd योग्यता धारी नियुक्त हो चुके शिक्षकों के कोऑपरेटिव चार्ट को कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए थे। निर्देश मिलने के बावजूद सरकार ने कोऑपरेटिव चार्ट पेश नहीं किये जिसके बाद हाईकोर्ट ने अंतिम सुनवाई पूरी करी। वहीं इस सुनवाई के दौरान पैरवी कर रहे महाधिवक्ता ने कोऑपरेटिव चार्ट पेश करने के लिए हाई कोर्ट से 1 महीने की मोहलत मांगी है जिसको देने से कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया।
कोर्ट ने 8 दिन में चार्ट पेश करने के दिए थे निर्देश
मध्य प्रदेश में Bed-DElEd प्राथमिक शिक्षक का मुद्दा लंबे समय से अटका हुआ था जिसको लेकर अब हाई कोर्ट में सुनवाई पूरी कर दी गई है। वहीं 15 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को प्राथमिक शिक्षा के तौर पर नियुक्त हुए Bed-DElEd शिक्षकों का तारीख बार कोऑपरेटिव चार्ट कोर्ट के सामने अगले 8 दिनों में पेश करने के निर्देश हाई कोर्ट न्यायपीठ ने दिए थे जिसके बाद 24 अप्रैल को सरकार ने उन्हें कोर्ट के सामने पेश नहीं।
प्राथमिक शिक्षकों की विवादित नियुक्ति की संख्या
दरअसल राज्य सरकार द्वारा Bed-DElEd प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी जिस पर पिछले वर्ष 11 अगस्त 2023 को पारित निर्णय में Bed. के प्राथमिक शिक्षकों को अयोग्य घोषित करते हुए सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने क्लेरिफिकेशन मांगा था जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि कुल 21962 नियुक्तियां की जानी थी जिनमें से कुल 11867 शिक्षकों को ही नियुक्त किया गया है, बाकी की नियुक्तियां कोर्ट के आदेश पर निर्भर छोड़ दी हैं।
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