MP News: मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा 200 करोड़ रुपये का जेट प्लेन खरीदने के पीछे की कहानी, उड़ा देगी आपके होश

मध्य प्रदेश सरकार मोहन यादव के नेतृत्व में नया जेट प्लेन खरीदने जा रही है। बीते 2 साल से चल रही जेट खरीदने की प्रक्रिया आचार संहिता लगने के बाद बंद हो गई थी। अब मोहन सरकार ने इसके लिए वित्त विभाग से बजट की मांग की है।

जेट प्लेन की खरीदारी की प्रक्रिया में कई बाधाएं

दरअसल शिवराज सरकार ने 50 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान किया था और अमेरिका की ट्रैक्सन एविएशन कंपनी से बात हुई थी कंपनी 8 करोड़ में जेट प्लेन देने को तैयार हो गई थी। लेकिन तभी चुनाव की आचार संहिता लग गई और काम ठप पड़ गया। अब नई सरकार मोहन यादव के नेतृत्व में जेट प्लेन खरीदने की तैयारी कर रही है और इसके लिए फाइल आगे बढ़ गई है।

अब नये सीरीज के साथ प्रक्रिया फिर से शुरू

मध्य प्रदेश में किसी भी मुख्यमंत्री के पास अब तक का यह सबसे महंगा प्लेन होगा। लेकिन इसके लिए तकरीबन 2 साल से ज्यादा का इंतजार भी करना पड़ सकता है। शिवराज सरकार ने 12 निजी विमान कंपनियों के साथ एक टाई अप किया था। इसी के आधार पर निजी कंपनियों ने मुख्यमंत्री को अपने किराए पर प्लेन देते थे। लेकिन नए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी सरकारी यात्रा में अभी उन्हीं का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सरकार ने वित्तीय अनुमान किया

लेकिन साल 2023 और 24 के लिए बजट रखा गया है इस बजट में विमान कंपनियों को हवाई यात्रा के लिए किराए का भुगतान किया जाएगा। मौजूदा समय में सरकार के पास कोई भी विमान नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार ने अभी अलग-अलग विमान कंपनियों के साथ टाई अप किया हुआ है। जो समय-समय पर जरूरत के हिसाब से प्लेन देती रहती है। बता दें कि राज्य सरकार ने 13 साल में 113 करोड़ 45 लाख 7500 रुपये 77 विमान कंपनियों को किराए के रूप में भुगतान किया है। और अब इस साल भी हवाई यात्रा के लिए किराय में ही विमान लिए जा रहे हैं।

इधर जेट प्लेन के उतरने और उड़ान भरने के लिए प्रदेश भर की हवाई पट्टियो को फिर से विकसित किया जा रहा है। शिवराज सिंह की शुरुआती सरकार के दौरान दौरान खूब राजनीति भी हो रही थी। बाद में जब उन्हें समझ में आया कि अपना हवाई जहाज खरीदना उसका मेंटेनेंस करना हैंगर में रखना एक मुश्किल काम है। और सरकार के लिए यह सब ठीक भी नहीं है। इसीलिए उन्होंने प्राइवेट कंपनियों के साथ किराए में हवाई जहाज जरूरत के हिसाब से लेना शुरू किया और 12 कंपनियों के साथ एग्रीमेंट किया है।

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हवाई यात्रा के लिए प्लेन की किराए पर लेने की प्रक्रिया को फिर से सकारात्मक रूप में आगे बढ़ाया

अगर किसी कंपनी का हवाई जहाज कभी खराब हो जाता है या कोई दूसरी स्थिति आ जाती है। तो ऐसे में दूसरी कंपनी से वह मंगवा लेते थे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होती थी। पिछले 13 साल में सरकारी खजाने से मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों के लिए हवाई किराए के रूप में केवल 113 करोड़ खर्च हुए और यह हवाई जहाज की किराए में चुकाई गई। रकम नया खरीदने से करीब आधी और मेंटेनेंस से भी फ्री रहते हैं।

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