नमस्कार दोस्तों हाल ही में मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार ने जल संसाधन प्रबंधन और कृषि विकास में नई क्रांति लाने के लिए पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना पर सहमति बनाई है। इस परियोजना का सीधा उद्देश्य राज्य में जल संकट से निपटना और किसानों के लिए समृद्धि के नए द्वार खोलना है।
जानिए क्या है यह परियोजना?
यह नदी जोड़ो योजना मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच जल संसाधनों के साझे उपयोग को सुनिश्चित करती है। इसके लिए “मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट” पर हस्ताक्षर हुए हैं, जो दो राज्यों के बीच सहयोग का मजबूत आधार बनाता है।
3 महत्वपूर्ण बातें जो आपको जाननी चाहिए:
- लाखों लाभार्थी:
- परियोजना का सीधा फायदा 40 लाख परिवारों को मिलेगा।
- इसका प्रभाव ग्रामीण इलाकों और किसानों पर सबसे ज्यादा होगा।
- सिंचाई क्षेत्र में सुधार:
- यह परियोजना 6.1 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराएगी।
- कृषि उत्पादकता में सुधार से किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- पेयजल और जल संरक्षण:
- सिंचाई के साथ-साथ यह योजना पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पेयजल आपूर्ति को बेहतर बनाएगी।
- जल संरक्षण को बढ़ावा देकर जल की बर्बादी को रोका जाएगा।
जानिये इस परियोजना का राज्य पर क्या प्रभाव होगा
- कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती: किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा मिलने से राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
- स्थानीय रोजगार सृजन: इस परियोजना के निर्माण और क्रियान्वयन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा।
- पेयजल संकट का समाधान: जिन क्षेत्रों में जल आपूर्ति की दिक्कत है, वहां इस परियोजना से राहत मिलेगी।
सरकार की नई सोच
मुख्यमंत्री ने इसे “कृषि और जल संरक्षण का मील का पत्थर” बताया। उन्होंने जोर दिया कि यह परियोजना न केवल किसानों की समस्याओं को हल करेगी, बल्कि राज्य के सतत विकास में योगदान देगी। आपको बता दें कि भारत में पहली बार नदी जोड़ो योजना इस पैमाने पर लागू हो रही है। यह राज्य और केंद्र के सहयोग का एक बेहतरीन उदाहरण है। “पार्वती-कालीसिंध-चंबल नदी जोड़ो परियोजना” मध्यप्रदेश को जल संकट मुक्त बनाने और ग्रामीण विकास की नई इबारत लिखने में सफल होगी।
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