मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के अतिथि शिक्षकों को धोखा दिया है। क्योंकि राज्य सरकार अतिथि शिक्षकों को नियमित करने के सपने दिखा रही थी लेकिन अब 70 हजार से अधिक अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान वेतनमान में बढ़ोतरी करने का वादा किया गया था लेकिन यह सिर्फ चुनावी आकर्षण बन कर रह गया।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों के अनुबंध को 1 साल के लिए बढ़ाने का ऐलान किया था। लेकिन इसके बावजूद, लोक शिक्षण संचालनालय के संचालक श्री डीएस कुशवाह ने लगभग 70000 अतिथि शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर दीं। और इसके साथ ही, हजारों अतिथि शिक्षकों को उनके काम के बदले में वेतन भी नहीं दिया गया।
इस वर्ष विधिवत आदेश जारी भी नहीं किया गया
हर साल, अतिथि शिक्षकों की सेवा समाप्ति के लिए विधिवत आदेश जारी किए जाते थे। इसके तहत, स्कूलों के प्राचार्य को पत्र जारी करके निर्देशित किया जाता था कि अतिथि शिक्षकों को सेवा समाप्ति की सूचना दें एवं 30 अप्रैल के बाद किसी भी अतिथि शिक्षक से काम लिया जाता है तो प्राचार्य जिम्मेदार होगा। प्राचार्य के वेतन से कटौती करके अतिथि शिक्षक को वेतन भुगतान कर दिया जाता था। इस बार, ऐसा कोई आदेश जारी नहीं हुआ है।
संचालक लोक शिक्षण मध्य प्रदेश ने दिनांक 4 अप्रैल को समस्त कलेक्टर के नाम जारी एक पत्र में लिखा है कि, अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 30 अप्रैल को समाप्त हो जाएंगे इसलिए उनकी ड्यूटी लोकसभा चुनाव में नहीं लगाई जाए। विभागीय आदेश अभी तक जारी नहीं हुए हैं, जो कि अनिवार्य हैं।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की थी 1साल अनुबंध की घोषणा
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि शिक्षकों का सम्मेलन बुलाकर घोषणा की थी कि उनका नियमितीकरण 1 साल के लिए होगा और पात्रता परीक्षा होने तक उन्हें अन्य अतिथि शिक्षकों के स्थान पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। इस घोषणा को मुख्यमंत्री ने की थी और इसमें किसी पार्टी की चुनावी घोषणा नहीं थी। मंत्री की सभी घोषणाएं रिकॉर्ड में हैं और शासन की जिम्मेदारी है कि वह मुख्यमंत्री की घोषणाओं का पालन करें। कोई भी अधिकारी इसे अलग से आदेश की आवश्यकता नहीं मान सकता।
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हजारों अतिथि शिक्षक को नहीं मिला वेतन
लोक शिक्षण संचालनालय ने इस बार एक नया अत्याचार किया है। हजारों अतिथि शिक्षकों को स्कूलों में काम के लिए नियुक्त किया गया था, जो नियमित रूप से स्कूलों में उपस्थित थे। वे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा निरीक्षण के बाद निर्देशित भी किए गए थे, लेकिन उन्हें अब तक वेतन नहीं दिया गया। आज छिंदवाड़ा में एक महिला अतिथि शिक्षक के सब्र की सीमा टूट गई। वह कलेक्टर से उम्मीद लेकर आई थी, परंतु उम्मीद का विश्वास टूटा और उसका रोना आ गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया है।
चुनावी साल में हुई यह घटना अप्रत्याशित है
मध्य प्रदेश में अतिथि शिक्षकों के साथ होने वाली घटनाएं अप्रत्याशित हैं। विधानसभा चुनाव से पहले वेतन में वृद्धि, 1 साल का अनुबंध, नियमित शिक्षक भर्ती में 50% आरक्षण, नियमितीकरण के लिए विशेष पात्रता परीक्षा जैसी घोषणाएं की गईं, लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार ने वेतन तक नहीं दिया। मुख्यमंत्री और स्कूल शिक्षा मंत्री तो दूर की बात पार्टी के किसी पदाधिकारी ने आश्वासन के दो शब्द तक नहीं कहे।
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