शिक्षक भर्ती घोटाला: 25,000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्तियां निरस्त, हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला 

शिक्षक भर्ती घोटालाहाई कोर्ट ऑफ़ वेस्ट बंगाल ने शिक्षकों के 25,000 से अधिक नियुक्तियों को निरस्त कर दिया है जिन्हें गलत तरीके से नियुक्ति मिली थी। इन शिक्षकों को अब अपने प्राप्त किए गए वेतन को वापस जमा करने के लिए आदेश दिया गया है। कर्मचारी चयन आयोग को नई भर्ती प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए निर्देश दिया गया है। 

क्या है पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले का मामला 

वर्ष 2014 में, पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग ने स्कूल शिक्षा में 25,753 रिक्त पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। इसमें टोटल 23 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने परीक्षा दी थी। उसके बाद, आरोप लगाया गया कि इस परीक्षा में बेईमानी हुई थी और कई उम्मीदवारों से 5 से 15 लाख रुपए की रिश्वत मांगी गई थी। जिन उम्मीदवारों ने रिश्वत दी थी, उन्हें परीक्षा में पास करके शिक्षक के पद पर नियुक्ति दे दी गई थी। सीबीआई ने जांच की और तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया।

अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया था। जांच में पाया गया कि जिन उम्मीदवारों की प्राप्तांक कम थी, उन्हें मेरिट लिस्ट में शामिल कर लिया गया था। कुछ उम्मीदवार ऐसे भी थे जिनके नाम मेरिट लिस्ट में नहीं थे लेकिन बाद में नियुक्ति दे दी गई। सभी उम्मीदवारों की नियुक्ति निरस्त कर दी गई है और उन्हें पिछले 8 साल में मिले वेतन का वापस जमा करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही, पश्चिम बंगाल कर्मचारी चयन आयोग को नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है। 

 कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका 

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया बड़ा झटका। पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाले मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग पैनल द्वारा की गई स्कूल शिक्षक भर्ती को रद्द कर दिया है। इस फैसले के तहत, 2016 का पूरा जॉब पैनल रद्द किया गया है और लगभग 24 हजार नौकरियां हाईकोर्ट ने रद्द कर दीं। मामले में 5 से 15 लाख रुपये की घूस लेने के आरोप हैं। 

भर्ती घोटाले में पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कई तृणमूल पदाधिकारियों के साथ ही राज्य शिक्षा विभाग के कई अधिकारी लंबित हैं। कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के बाद, ईडी और सीबीआई दोनों इस घटना की जांच कर रहे हैं।

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टीईटी परीक्षा नहीं करने वालों को भी मिल गई नौकरी 

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उन उम्मीदवारों को मेरिट लिस्ट में ऊपर स्थान दिया गया जिनके नंबर कम थे। इसके अलावा, कुछ शिकायतें भी उठाई गईं कि कुछ उम्मीदवारों को नौकरी दी गई जिनका मेरिट लिस्ट में नाम नहीं था। यहां तक कि कुछ ऐसे भी उम्मीदवारों को नौकरी दी गई थी, जिन्होंने टीईटी परीक्षा पास नहीं की थी। राज्य में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी की परीक्षा पास करना अनिवार्य होता है, लेकिन इस मामले में यह नियम उल्लंघन किया गया था। इसी तरह से, 2016 में राज्य में एसएससी द्वारा ग्रुप डी की 13000 भर्तियों के मामले में भी शिकायतें सामने आई थीं। 

हाईकोर्ट ने इन सभी याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सीबीआई की जांच के आदेश जारी किए थे। इसके बाद, ईडी ने शिक्षक और कर्मचारियों की भर्ती मामले में मनी ट्रेल की जांच शुरू की थी। सीबीआई ने इस मामले में पार्थ चटर्जी से 18 मई को पूछताछ भी की थी। 

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