मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों और संविदा कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, नियुक्ति निरस्त करने के आये निर्देश

मध्य प्रदेश में प्राथमिक शिक्षकों और संविदा कर्मचारियों को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसमें 500 से ज्यादा प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है। लोक शिक्षण संचालनालय (DPI) ने भी निर्देश जारी किए हैं कि 10 अगस्त 2023 के बाद से बीएड (B.Ed) डिग्री के आधार पर नियुक्ति पाने वाले सभी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त की जाएगी। अब प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए बीएड की जगह डीएड (D.Ed) डिग्री अनिवार्य होगी। यह फैसला उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुसार पालन में लिया गया है, जिससे अब मध्य प्रदेश के कई शिक्षकों में चिंता और आक्रोश फैल गया है।

प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त के आदेश

मध्य प्रदेश सरकार के इस कठोर कदम का आधार केंद्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय का 2018 का आदेश है, जिसमें यह स्पष्ट है कि प्राथमिक शिक्षकों के लिए डीएड को अनिवार्य योग्यता के रूप में निर्धारित किया गया था। इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने बीएड धारकों को प्राथमिक शिक्षक के पदों के लिए अयोग्य करार दिया गया था। 11 अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मंजूरी दी और बीएड धारकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया। इसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने 3 मई 2024 को इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, जिसके परिणामस्वरूप प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति निरस्त करने के निर्देश जारी हुए है।

25 जिलों के शिक्षकों की नौकरी पर खतरा

इस आदेश के चलते राज्य के 25 जिलों के 500 से अधिक शिक्षकों की नौकरी पर खतरा मंडरा रहा है। डीपीआई ने आगर मालवा, अलीराजपुर, अशोकनगर, छतरपुर, दमोह, डिंडोरी, गुना, कटनी, खंडवा, मंदसौर, मुरैना, नरसिंहपुर, नीमच, निवाड़ी, पन्ना, रायसेन, रतलाम, सागर, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, सिंगरौली, टीकमगढ़, उज्जैन, और विदिशा के जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर एक हफ्ते के भीतर बीएड धारकों की जानकारी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

यह भी पढ़ें – Ladli Behna Yojana: लाडली बहनों के लिए आई बड़ी खुशखबरी, इस दिन जारी होगी 16वीं किस्त खाते में आएंगे पैसे

मध्य प्रदेश के संविदा कर्मचारियों पर भी मंडरा रहा संकट

मध्य प्रदेश के प्राथमिक शिक्षकों के साथ – साथ संविदा कर्मचारियों पर भी बहुत बड़ा संकट मंडरा रहा है। क्योंकि जबलपुर हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों के संबंध में एक बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा कि निर्धारित अवधि समाप्त होने के बाद संविदा कर्मचारी सेवा सुरक्षा का दावा नहीं कर सकते। यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर जारी किया गया, जिससे संविदा कर्मचारियों में भी निराशा है। यह फैसला उन हजारों संविदा कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जिनकी सेवा अवधि जल्द ही समाप्त होने वाली है।

अपना कल टीम की राय

अपना कल की टीम की राय अनुसार इस फैसले से मध्य प्रदेश के शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन होने वाला है। जहां एक ओर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए कठोर कदम उठाया है, वहीं दूसरी ओर यह कदम सैकड़ों शिक्षकों और संविदा कर्मचारियों की आजीविका पर भारी पड़ सकता है और इन कर्मचारियों का भविष्य भी अंधकार की और इशारा कर रहा है। हलाकि अब शिक्षकों और कर्मचारियों को इन आदेशों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए अपनी भविष्य की रणनीतियों पर विचार करना होगा। शिक्षा के क्षेत्र में योग्यता को लेकर की गई यह सख्ती आवश्यक हो सकती है, लेकिन इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव भी गंभीर हो सकता है। इसलिए, यह आवश्यक है कि राज्य सरकार इस मामले में संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़े और प्रभावित शिक्षकों को उचित मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करे।

यह भी पढ़ें – MP Holiday: मध्य प्रदेश में मोहन सरकार ने घोषित किए 4 स्थानीय अवकाश, सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी लगातार 4 दिन की छुट्टी

Author

Leave a Comment

Your Website