इंदौर,मध्य प्रदेश : भारत के अंतरिक्ष अन्वेषण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में “मिशन शक्ति सेट” की शुरुआत की गई है। इस मिशन का उद्देश्य पिछड़े क्षेत्रों की छात्राओं को अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीकी शिक्षा से जोड़ना है। इसके अंतर्गत इंदौर की 14 छात्राओं सहित मध्य प्रदेश से कुल 15 छात्राओं का चयन किया गया है। इसके लिए इसरो द्वारा 120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण के बाद, ये बच्चियां चंद्रयान मिशन 2026 में योगदान देंगी।
अंतरिक्ष विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अन्य वैश्विक संस्थानों की भागीदारी से इस मिशन को संचालित किया जा रहा है। स्पेस किड्स इंडिया द्वारा विकसित इस मिशन की शुरुआत 16 जनवरी को की गई थी। स्पेस किड्स इंडिया की संस्थापक और सीईओ डॉ. केशन के नेतृत्व में यह अभियान छात्राओं को अनुसंधान, नवाचार और नेतृत्व के अवसर प्रदान करेगा।
120 घंटे का प्रशिक्षण और सैटेलाइट निर्माण
इस मिशन के अंतर्गत भारत सहित 108 देशों की 12,000 हाईस्कूल छात्राओं को अंतरिक्ष विज्ञान से संबंधित 120 घंटे का ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारत से 130 छात्राएं इस प्रशिक्षण में भाग लेंगी। प्रशिक्षण में अंतरिक्ष तकनीक, पेलोड विकास और अंतरिक्ष यान प्रणालियों से जुड़ी जानकारियां दी जाएंगी। कार्यक्रम पूरा करने के बाद हर देश से एक छात्रा का चयन किया जाएगा और ये 108 छात्राएं चंद्रयान-2026 मिशन में योगदान देंगी।
मध्य प्रदेश की छात्राओं का चयन
मध्य प्रदेश से 15 छात्राओं को इस मिशन के लिए चुना गया है, जिनमें 14 इंदौर से और 1 खरगोन से हैं। इनका चयन विजय सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किया गया। संस्था की संस्थापक माधुरी मोयदे ने बताया कि वे वर्षों से बच्चियों को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रयासरत रही हैं और यह पहल उसी का एक हिस्सा है।
चयन प्रक्रिया एवं चयनित छात्राओं की सूची
इसरो और अन्य विशेषज्ञों द्वारा एक विशेष परीक्षा और साक्षात्कार आयोजित किया गया था, जिसके आधार पर छात्राओं का चयन किया गया। चयनित छात्राओं में से अधिकतर शासकीय विद्यालयों जैसे बाल विनय मंदिर, सांदीपनि और पीएमश्री स्कूलों से हैं।
- इंदौर: तान्या यादव, कुशी तायड़े, कृष्णा खाजेकर, आरती पवार, अक्षरा जैन, शीतल मोरे, सुहानी मेश्राम, मुस्कान कैरो, निधि शर्मा, कलश जैन, दर्शना शर्मा, सुजाता इंगले, गौरी भदौरिया, वंशिका सोलंकी।
- खरगोन: राशि चौरे।
अंतरिक्ष विज्ञान में करियर के अवसर
इस मिशन का नेतृत्व भारतीय वायुसेना की सेवानिवृत्त विंग कमांडर जया तारे कर रही हैं। उनका मानना है कि यदि छात्राओं को सही मार्गदर्शन और अवसर दिए जाएं, तो वे अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियां हासिल कर सकती हैं।
यह मिशन भारत की बालिकाओं के लिए अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने का एक सुनहरा अवसर है। इस पहल से वे न केवल नई तकनीकों से परिचित होंगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों की छात्राओं के साथ जुड़कर वैश्विक मंच पर अपनी पहचान भी बना सकेंगी।
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