MP News: मध्य प्रदेश सरकार के बुरे दिन शुरु होते नजर आ रहे हैं। क्योंकि वर्तमान मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश की सरकार कर्ज के बोझ में है और हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने ऋण लेने की सीमा खो दी है। और अब सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार मिली जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट आदेश दिया कि 60 दिनों के भीतर महिलाओं को नियुक्ती दें।
सुप्रीम कोर्ट ने महिला को नियुक्ति न देने पर फटकार लगाई और आदेश दिया कि 60 दिनों के भीतर संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-III या समकक्ष पद पर याचिकाकर्ता स्मिता श्रीवास्तव को नियुक्त किया जाए। कोर्ट ने सरकार पर आरोप लगाते हुए 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया और यह राशि महिला को 60 दिनों के भीतर चुकाने का आदेश दिया।
60 दिनों के भीतर देनी होगी नियुक्ति
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार और उसके अधिकारियों की मनमानी और अड़ियल रवैये के खिलाफ आपत्ति दर्ज की। उन्होंने निर्देश दिया कि एक महिला को ‘संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3’ या समकक्ष पद पर 60 दिन के भीतर नियुक्ति दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि उस महिला ने अगस्त 2008 में ‘संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3’ पद के लिए परीक्षा पास की थी, लेकिन उसे कोई नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था।
न्यायालय ने मध्य प्रदेश सरकार पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया और महिला को इस राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने इस मामले में राज्य सरकार और उसके अधिकारियों के विवादपूर्ण रवैये को दोषी ठहराया। इससे अपीलकर्ता को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने कहा कि राज्य सरकार और उसके अधिकारियों के अड़ियल, मनमाने और दुर्भावनापूर्ण रवैये के कारण अपीलकर्ता को काफी लंबे समय तक कानूनी लडाई लड़नी पड़ी है।
पीठासीन ने अपने फैसले में बताया कि अपीलकर्ता स्मिता श्रीवास्तव ने 31 अगस्त 2008 को संविदा शाला शिक्षक ग्रेड-3 पद के लिए आयोजित चयन परीक्षा में पास होने के बावजूद भी अपनी सफलता का फल नहीं पाया। उनकी अपील पर न्यायालय ने फैसला सुनाया, जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मई और अगस्त 2022 के आदेशों को चुनौती दी थी।
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2020 में निकली गई थी वर्ग 3 शिक्षक भर्ती
2020 में, ग्रेड-3 की भर्ती के लिए 22 हजार पदों के लिए एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसके लिए पहली काउंसलिंग 3 साल बाद, अर्थात मार्च 2023 में हुई थी। इसके बाद, दूसरी काउंसलिंग अगस्त 2023 में हुई थी। इस भर्ती में सरकार ने एक बड़ी गलती की थी।
काउंसलिंग के बाद, उस समय 11,583 बी.एड. किए हुए अभ्यर्थियों को नियुक्ति दी गई थी, जबकि 10,417 उम्मीदवारों को नियुक्ति दी गई थी जिन्होंने डीएड किया था। परंतु, कुछ अभ्यर्थियों ने नियुक्ति के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की, क्योंकि वर्ग-3 में बीएड वालों को नियुक्ति का प्रावधान नहीं है।
एक बड़ी गड़बड़ी के बाद, जो नौकरी की भर्ती से संबंधित थी, मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। अब, इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साथ एक बड़ा अपडेट सामने निकल कर आया है।