MP News: मध्य प्रदेश के 2.46 लाख छात्रों ने छोड़ा स्कूल, देखें क्या है पूरा मामला और आगे क्या होगा?

राज्य में लगभग 2.46 लाख छात्र स्कूली शिक्षा से वंचित हैं, जबकि 1.94 लाख छात्रों ने विभिन्न विकास खंडों, जिलों, या राज्यों में प्रवास किया है। राज्य में 8.12 लाख छात्रों की मैपिंग की आवश्यकता है, जबकि और 14 लाख छात्र ड्रॉपआउट बॉक्स की श्रेणी में हैं, जिससे मैपिंग कार्य में बड़ी चुनौती है। छात्रों को छोड़ने की आशंका है अगर ड्रॉपआउट श्रेणी के छात्रों को पहचाना नहीं जा सकता है। ये आंकड़े राज्य शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए पत्र में सभी जिला कलेक्टरों को सूचित किए गए हैं।

सरकारी स्कूलों के छात्रों का किया जाएगा प्रोफाइल अपडेट

राज्य शिक्षा केंद्र ने चिंता जताते हुए कहा कि जब 14 लाख बच्चे ड्राप आउट बॉक्स में हों, तो उन्हें नहीं पहचाना जाता है, तो ये शाला त्यागी या प्रवासी की श्रेणी में शामिल हो सकते हैं। प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों के छात्रों का प्रोफाइल अपडेट किया जा रहा है। इसमें शाला त्यागी, ड्राप आउट बॉक्स, और 12वीं पास छात्रों को पहचाना जा रहा है। इन सभी छात्रों की जानकारी मांगी जा रही है, ताकि उन्हें स्कूल में प्रवेश दिया जा सके।

डीईओ और जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को दी जिम्मेदारी

राज्य शिक्षा केंद्र ने डिस्ट्रिक्ट एजुकेशन ऑफिसर (डीईओ) और जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) को आदेश दिया है कि 15 मई तक जिन छात्रों की जानकारी विभाग को दी जाए, जो अपने गाँव या विकासखंड के बाहर चले गए हैं। साथ ही, 12वीं पास छात्रों की जो एंट्री में कोई गड़बड़ी है या जिनकी मौत हो गई है, उनकी सही जानकारी को अपडेट करने के लिए भी निर्देश दिया गया है। छात्रों की ट्रैकिंग परमानेंट एजुकेशन नंबर (पेन) के माध्यम से की जा रही है। राज्य में लगभग 90 प्रतिशत छात्रों का आधार पंजीयन है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में सबसे ज्यादा शालात्यागी विधार्थी

मध्य प्रदेश में लगभग 2.46 लाख छात्र स्कूल शिक्षा छोड़ चुके हैं जिसकी सूची हमने नीचे साझा की हुई है। जिसे आप जिलेवार भी देख सकते है।

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मध्यप्रदेश के इन जिलों में सबसे ज्यादा शालात्यागी विधार्थी

प्रदेश में हर साल सरकारी स्कूलों के बच्चों की मैपिंग की जाती है, जिससे शालात्यागी या पलायन कर चुके बच्चों को पहचाना जा सके। अभी तक लगभग 14 लाख ड्राप आउट बॉक्स में चिन्हित किए गए हैं और उनकी सही से मैपिंग की जा रही है, अन्यथा शालात्यागी बच्चों की संख्या बढ़ सकती है।

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