मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं लोक शिक्षण संचालनालय के द्वारा प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति की गई थी। जिसमें से लगभग 15000 शिक्षकों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। क्योंकि प्राथमिक शिक्षक के लिए डीएलएड अनिवार्य है लेकिन इन सभी शिक्षकों के पास बीएड डिग्री है। जिससे इन शिक्षकों की नौकरी खतरे में है। क्योंकि हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार बीएड़ डिग्री वाले प्राथमिक शिक्षक के लिए पात्र नहीं है।
बीएड डिग्री वालों की नियुक्तियां अवैध
सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को प्राथमिक शिक्षक के संबंध में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अब बीएड डिग्री वालों की नियुक्तियां प्राथमिक शिक्षक के पद पर अवैध मानी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को मानते हुए अप्रैल 2024 में मध्य प्रदेश में B.Ed. डिग्री वालों की प्राथमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति समाप्त कर दी गई है।
मध्य प्रदेश सहित अन्य सभी प्रदेशों द्वारा देवेश शर्मा बनाम भारत सरकार के प्रकरण सिविल अपील क्रमांक 5068/2024 में दिनांक 11 अगस्त 2023 को विस्तृत फैसला को मानते हुए NCTE द्वारा जारी कानून को संविधान के अनुच्छेद 14, 21-A तथा राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 को मानते हुए इसे संवैधानिक घोषित कर दिया गया।प्राथमिक शिक्षक भर्ती विवाद के संबंध में हाईकोर्ट में सुनवाई की तारीख अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में उनके द्वारा दर्ज की गई एक दर्जन याचिकाएं निर्णय के लिए लंबित है।
ये सभी याचिकाएं डीएलएड अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत की गई है। जिन में मध्य प्रदेश शिक्षक सेवा संवर्ग नियम 2018, NCTE के कानून दिनांक 18 जून 2018 की संवैधानिकता को चुनौती सहित समस्त भर्तियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के असंगत बताया गया है। इन सभी याचिकाओं की सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में दिनांक 15 अप्रैल 2024 को तय किया गया है।
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अतिथि शिक्षकों के लिए भी बुरी खबर
इसी बीच अतिथि शिक्षकों को लेकर एक अपडेट निकल कर आ रहा है अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति 30 अप्रैल को समाप्त हो रहीं हैं जिसे लेकर सीएम मोहन यादव जी को ज्ञापन सौंपा गया है आइए जानते हैं पूरा मामला आखिर क्या है।
एक तरफ प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती को लेकर विवाद चल रहा है तो वहीं अतिथि शिक्षकों को लेकर नई अपडेट निकल कर आ रही है। दरअसल् बात यह है कि राज्य सरकार 30 अप्रैल को 75 हजार अतिथि शिक्षकों की सेवाएँ समाप्त करने जा रही हैं जबकि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा यह घोषणा की गई थी कि इन शिक्षकों की नियुक्ति एक साल के अनुबंध में की जाएगी अतिथि शिक्षकों की सेवाएं सालभर के लिए स्थायी रहेगी। लेकिन बीच में ही सरकार द्वारा अतिथि शिक्षकों को हटाया जा रहा है।
सोमवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने अपने एक्स हैंडल अकाउंट पर ट्वीट कर के कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव जी द्वारा तुरंत इस फैसले को रोका जाए। यह प्रदेश भर के अतिथि शिक्षकों के जीवन का सवाल है उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने भी अतिथि शिक्षकों की ड्यूटी चुनाव में न लगाने का आदेश दिया है क्योंकि सरकार 30 अप्रैल को इनकी नियुक्ति समाप्त कर रही है सीएम यादव जी संवेदनशीलता दिखाएं और तुरंत इस फैसले को रोक दे। अतिथि शिक्षक इसी उम्मीद में हैं कि सरकार उनके हित में फैसला लेगी।
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