MP News: छिंदवाड़ा कलेक्टर श्री शीलेंद्र सिंह को एक महिला अतिथि शिक्षक ने आपत्ति जाहिर की। 9 महिला अतिथि शिक्षकों ने आवेदन दिया, परंतु उनका आवेदन कलेक्टर द्वारा नहीं पढ़ा गया। उन्हें 10 महीने से वेतन नहीं मिला है। उनकी सेवाएं 30 अप्रैल को समाप्त हो रही हैं। महिला अतिथि शिक्षक ने कलेक्टर के इस रवैये पर अपनी आपत्ति जताई।
10 महीने से नहीं मिला वेतन, सेवा समाप्त होने की कगार पर
स्काउट गाइड टीम ने पक्षियों को पानी देने की एक कार्यक्रम आयोजित किया। कलेक्टर शैलेंद्र सिंह अपने कैबिन से निकल रहे थे तभी जुन्नारदेव से आए अतिथि शिक्षकों ने उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। इन शिक्षकों को पिछले 10 महीनों से वेतन नहीं मिला था। इनकी सेवाएं 30 अप्रैल को समाप्त हो रही थीं क्योंकि उनकी नियुक्ति तकनीकी त्रुटि के कारण ऑनलाइन पोर्टल में अपडेट नहीं हुई थी। ये शिक्षक चाहते थे कि कलेक्टर उनकी समस्या को सुनें और समाधान करें, लेकिन कलेक्टर ने न तो ज्ञापन पढ़ा और न ही उनकी बात सुनी। इस घटना को देखकर एक महिला शिक्षक का सब्र टूट गया।
महिला अतिथि शिक्षक ने दी आत्महत्या करने की धमकी
महिला अतिथि शिक्षक ने कलेक्टर को धमकी दी कि यदि न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या कर लेंगी और कलेक्टर को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। इस महिला शिक्षिका का नाम ममता परसाई है, जो मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल ग्राम हड़ली विकासखंड जुन्नारदेव में अतिथि शिक्षक के रूप में काम कर रही हैं। उसको पूरे साल काम करने के बावजूद अभी तक वेतन नहीं मिला है। छिंदवाड़ा जिले में ऐसे सैकड़ों अतिथि शिक्षक हैं और मध्य प्रदेश में हजारों कार्यरत हैं।
72 हजार अतिथि शिक्षकों को नहीं मिला दो महीने से वेतन
ऐसे 72 हजार अतिथि शिक्षकों को मार्च और अप्रैल महीने की वेतन अभी तक नहीं मिली है। कुछ जिलों में, कुछ अतिथि शिक्षकों को जनवरी से तो कुछ को 10 महीने से भी अधिक का वेतन नहीं मिला है। इससे उनके परिवारों का पालन-पोषण में दिक्कत हो रही है, क्योंकि बहुत से उनमें से स्कूलों में 8 से 10 साल का अनुभव होने के बावजूद भी, वे अब अन्य नौकरियों के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
महिला शिक्षक ने कहा बिना वेतन के कलेक्टर भी काम नहीं करते
प्रदर्शनकारी अतिथि शिक्षकों ने बताया कि उन्हें पिछले 10 महीनों से अत्याचार किया जा रहा है। उनसे पूरे स्कूल का काम करवाया जाता है और परीक्षा में अच्छे रिजल्ट देने का टारगेट भी दिया जाता है, लेकिन समय पर उन्हें वेतन नहीं दिया जाता। उनकी एक महिला सहकर्मी के साथ सामान्य शिष्टाचार का उल्लंघन हुआ है,
लेकिन बिना वेतन के 10 महीने काम करना और बिना वेतन के ही सेवा समाप्त हो जाना किसी भी व्यक्ति के मानसिक संतुलन को डिस्टर्ब कर सकता है। उन्होंने कलेक्टर की सैलरी की तुलना की और कहा कि यदि कलेक्टर को भी 10 महीने से वेतन नहीं मिलता तो वह भी काम नहीं करते।
यह भी पढ़ें – मध्य प्रदेश में बना फेल होने का रिकॉर्ड: इस गांव में भी 10वीं और 12वीं के छात्र-छात्रा सब फेल, ग्रामीण हुए क्रोधित