मुख्यमंत्री मोहन यादव: गेहूं, जो हमारे देश में मुख्य खाद्य फसलों में से एक है, का समर्थन मूल्य बढ़ाने का निर्णय सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम है। गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि का संदेश किसानों के लिए एक बड़ी राहत है, खासकर उन दिनों में जब कृषि सेक्टर की चुनौतियों के कारण किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूती से हिल रही है।
गेहूं का समर्थन मूल्य
इस वर्ष मौसम की मार के चलते गेहूं की फसल कम हो रही है। इसी करण सरकार ने किसानों की मदद करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक दाम मिल में फसल की खरीदारी कर रहे हैं ऐसी स्थिति में किसान गेहूँ की फसल बाजार में अधिक मात्रा में बेचेंगे।
राज्य सरकार ने गेहूं की खरीद पर समर्थन मूल्य में 125 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस देने का निर्णय लिया है लेकिन इसके बाद भी किसान इससे खुश नहीं है। क्योंकि इसका सबसे ज्यादा असर गेहूं की सरकारी खरीदी पर पड़ ने वाला है जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप गेहूं की खरीदी नहीं होगी।
लोकसभा चुनाव दौरान सरकार ने किसानों के लिए अहम फैसले
विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में गेहूं एवं धान की खरीदी पर महत्वपूर्ण घोषणा की जिससे एमपी तथा छत्तीसगढ़ राजस्थान सहित पांच राज्यों में गेहूं एवं धान 2700 एवं 3100 रुपए प्रति क्विंटल किए जाने की घोषणा की थी समर्थन मूल्य के इस वृद्धि से सरकार ने गेहूं उत्पादकों के हितों को मध्यस्थता करते हुए एक सकारात्मक कदम उठाया है, जो किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मददगार साबित होगी।
मुख्यमंत्री ने गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि करने का फैसला
समर्थन मूल्य की बढ़ोत्तरी से गेहूं की खेती को एक नया आधुनिक रुप दिया जा सकता है, जो हमारे देश के कृषि सेक्टर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। मध्यप्रदेश सरकार ने विधान सभा चुनाव के दौरान जो घोषणा की थी उसको पूरा करने की बात कही है इस वर्ष गेहूँ 2700 रुपये प्रति क्विंटल खरीद करने की बात कही है साथ ही अगले वर्ष इसके दाम में बढोत्तरी हो सकती है इसके साथ ही, गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि का फायदा सीमांत नहीं रहेगा, बल्कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में समाज की स्थिति को भी सुधारा जा सकता है।
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अगले वर्ष गेहूं का औसत भाव बढ़ेगा
इस वर्ष गेहूं की उपज में लगभग 35 से 49 प्रतिशत की कमी आई है। ऐसे में गेहूं आने वाले साल में अधिक महंगा साबित होगा। इस वर्ष गेहूं का मूल्य अधिक जाने से खुले बाजार में भाव सरकारी मूल्य से अधिक रहेंगे लेकिन मंडियों में 2250 से 2300 रु के भाव में खरीद होगी।
गेहूं का समर्थन मूल्य बढ़ाने से किसानों को उनकी खेती पर लगे वित्तीय बोझ में कमी मिलेगी, जिससे उन्हें अधिक आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का अनुभव होगा। इससे उनका जीवन स्थायिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। वहीं, इस निर्णय से कृषि उत्पादकों को भी उत्साह मिलेगा और उनका उत्पादन बढ़ेगा।
गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि करने से व्यापारिक और आर्थिक दृष्टि से भी यह एक सकारात्मक कदम है। यह खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मददगार होगा और बेरोजगारी को कम करने में सहायक होगा।
समर्थन मूल्य की बढ़ोत्तरी से गेहूं की खेती को एक नया आधुनिक रुप दिया जा सकता है, जो हमारे देश के कृषि सेक्टर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। इसके साथ ही, गेहूं के समर्थन मूल्य में वृद्धि का फायदा सीमांत नहीं रहेगा, बल्कि इससे विभिन्न क्षेत्रों में समाज की स्थिति को भी सुधारा जा सकता है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव के दौरान सरकार किसानों के लिए अहम फैसला ले सकती है जिससे किसानों को आथिर्क सहायता मिलेगी।
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